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कहानीःरात होने से पहले

धारावाहिक कहानीःरात होने से पहले

भाग-७
रात होने से पहले  (भाग 7  )


छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और झारखंड में सरकार ने जमीन स़ंबधी कानून मे अचानक कई बदलाव किएथे।

माधव नारायण के वकील राम नारायण बाबू  बिटिया सुंगधा के रिपोर्ट पर बहुत ही अधिक खुश थे।

वह चाहते थे कि सरकार इस बच्ची को खास स्कौलरशिप की व्यवस्था करे ताकि उसे आगे की पढ़ाई बिना किसी व्यवधान के हो जाए।
इस मामले में उन्होंने अपने कई एनजीओ सहकर्मियों से भी कहा था।

सरीन को अब वाकई पछतावा था।वह अब इस दुखी परिवार की मदद करना चाहता था।
इस के लिये उसने राम बाबू से भी बात की।परन्तु राम बाबू तो अत्यधिक नाराज हो गए।उन्होंने सख्ती से कहा

"वकील साहब, कानून की लड़ाई अपनी जगह है।हम आप प्यादे हैं।पर गरीब आदमी की इज्ज़त सबसे उपर है।प्लीज़ ,आप इन चीजों में वकालत न करें।"

सरींन रो पड़ा।
"राम बाबू, मैं गुनाह गार हूँ।मैं बहुत ही अधिक स्वार्थ और धन के लालच में डूब कर यह भूल गया कि मुझसे इतना बड़ा पाप हो गया है।।राम बाबू मैं माफी के लायक तो नहीं लेकिन मुझे थोड़ा प्रायश्चित कर लेने दीजिए।"

"वकील साहब, आप मेरे बड़े भाई समान हैं, प्लीज़ आप क़ोई सजेशन दीजिये ताकि मैं इस पाप का कुछ हद तक प्रायश्चित कर सकूं।"

राम बाबू थोड़ा पिघल गए।उन्होंने कहा

"अगर माधव के घर वालों को पता चले तो कभी भी मदद लेने को तैयार नहीं होंगे।आप किसी एन जी ओ या कल्याण कारी संस्था  के साथ मिल कर कोई मदद दे सकते हैं।

*******

**ब्रेकिंग न्यूज़***
टीवी पर ब्रेकिंग न्यूज़ आ रहा था।

एस आई टी और खुफिया पुलिस की बड़ी कामयाबी।भारत में अवैध  ढंग से ड्रग और ब्राउन शुगर के साथ कई आरोपी गिरफ्तार।
जब आरोपियों की डोर चौधरी रतन देव  से जुड़े मिले तो हड़कंप मच गया।

खुफिया विभाग की आंखों में चौधरी चढ़ा हुआ पहले से ही था।अपनी बाहुबली पहुंच के कारण  कई पुलिस वालों की पोस्टिंग कराकर अब तक साठ बनाए हुए था।
उसका नया पार्किंग कम् फैक्ट्री भी खुफिया विभाग की नजरों में था।
खुफिया विभाग के अधिकारी राजपुर में डेरा डाल चुके थे।उनकी नजर सब पर थी।सरीन पर भी।पुलिस उसपर पैनी नजर गड़ाए हुए थी।

राम बाबू ने सरीन को मना किया था।
माधव के घर जाने से।लेकिन सरीन माना नहीं और माधव नारायण के घर चला गया।

माधव नारायण की  हालत ठीक नहीं थी।घर की ही हालत ठीक नहीं थी।वकील राम नारायण के कारण बच्चे लिख पढ़ पा ले रहे थे, वही बहुत था।
गरीबी हर तरफ से झांक रही थी।बहुत हिम्मत करके सरीन रस्तोगी ने अपना परिचय दिया।वह माधव के पैरो पर गिर पड़ा।

"माधव बाबू, मुझे माफ कर दीजिए..।मैंने इतने पाप किए हैं उसकी सजा ईश्वर ने मुझे दे दी है।
मेरा धन  ,मेरा पैसा सब पाप के भेंट चढ़ गए हैं।मैं पाप करता रहा..भगवान ने सजा मुझे नहीं , मेरी बच्ची को दे दिया ।  मेरी बेटी बहुत प्यारी है। भगवान के लिये उसे श्राप मत दीजिये।वह बेचारी अपाहिज है..।
मैं आपका सहारा बनना चाहता हूँ।प्लीज आप मेरी प्रार्थना सुन लें।"
सरीन रो रहा था। उसके ये आंसू पछतावे के थे।सच्चे थे।

माधव नारायण सुन तो रहे थे पर बोलने की स्थिति में नहीं थे।तो कुछ बोले ही नहीं।

सरींन ने मध्यप्रदेश के नामी न्यूरो सर्जन से बात की।और माधव नारायण के इलाज का बंदोबस्त भी किया।उसने माधव की भांजी  महुआ की शादी भी ठीक करवाया।उसके शादी का खर्चा भी खुद ही उठाया।
अब वह खरा सोने की सोच रखने लगा था।

खुफिया विभाग ने चौधरी के पार्किंग में रातोंरात रेड डाल दिया।कई विवादित चीजों पर पुलिस को कामयाबी भी मिली।वहां अवैध हथियारों की भी निर्माण होती थी।पुलिस ने पूरे फैक्ट्री को सील कर दिया।

कई लिंक वकील राम नारायण  ने पुलिस को दिया था।
अब चौधरी बड़ी मुसीबत में था।माधव मामले में भी वह बुरी तरह फंस चुका था ।सरकार ने उसकी पूरी जमीन पर किया अधिग्रहण  पूरी तरह से गैर कानूनी   करार कर दिया था।
चौधरी ने बचने के लिये कई दांव पेंच लगाए ।सरीन को मुंहमांगी कीमत देने को तैयार था..परन्तु सरींन..!उसके सिर पर खुद नंगी तलवार लटक रही थी।फिर पुलिस ने उसे अपना मुखबिर बनाने के लिए अंतरिम दबाव डाला था।फिर वह चौधरी की मदद कैसे करता!!

क्रमशः

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3 Comments

Hayati ansari

29-Nov-2021 09:49 AM

Nice

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Kaushalya Rani

19-Oct-2021 07:25 PM

Good

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Ramsewak gupta

19-Oct-2021 12:07 PM

Shandar hai your post

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